रामो विग्रहवान् धर्मः। राम धर्म के मूर्तिमन्त प्रतीक हैं। श्रीराम मन्दिर समाजमन की शाश्वत् प्रेरणा है। श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण के लिए 492 वर्षों तक अनवरत और लगभग 37 वर्षों के सुसूत्र अभियान में शृंखलाबद्ध कार्यक्रमों के फलस्वरूप सम्पूर्ण भारतवर्ष लिंग, जाति, पंथ-सम्प्रदाय, भाषा, क्षेत्र आदि भेदों से ऊपर उठकर एकात्म भाव से जागृत हो गया और 9 नवम्बर 1989 को ऐतिहासिक शिलान्यास समारोह का आयोजन कर पूज्य सन्तों की उपस्थिति में ’प्रथम शिला’ बिहार के श्री कामेश्वर चैपाल ने रखी। पौराणिक-साक्ष्यों, पुरातात्त्विक-उत्खनन, रडार तरंगों की फोटो प्रणाली तथा ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर उच्चतम न्यायालय की 5 सदस्यीय पीठ ने 9 नवम्बर 2019 को सर्व सम्मत निर्णय देते हुए कहा ’’यह 14,000 वर्ग फीट भूमि रामलला की है’’। तथ्य और प्रमाण के साथ आस्था और विश्वास की विजय हुई। तदुपरांत भारत सरकार ने 5 फरवरी 2020 को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र नाम से न्यास का गठन कर अधिगृहीत 70 एकड़ भूमि न्यास को सौंप दी। 25 मार्च 2020 को रामलला अस्थाई नवीन मन्दिर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के करकमलों से विराजमान हुए। तत्पश्चात् 5 अगस्त 2020 को सदियों के स्वप्न-संकल्प पूर्ति का वह अलौकिक क्षण आ गया, जिस दिन पूज्य महन्त श्री नृत्यगोपालदास जी सहित पूरे देश भर के विभिन्न आध्यात्मिक धाराओं के प्रतिनिधि, पूज्य संतों एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत जी के पावन सान्निध्य में भारत के जनप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भूमि पूजन एवं शिला पूजन कर, मन्दिर निर्माण का सूत्रपात कर दिया। इसमें देश की पवित्र नदियों के जल तथा समस्त तीर्थों, विभिन्न जातीय-जनजातीय श्रद्धा केन्द्रों तथा बलिदानी कारसेवकों के घरों से लायी गई रज (मिट्टी) ने मानो सम्पूर्ण भारतवर्ष को ’’भूमि पूजन’’ में उपस्थित कर दिया। इस महत् संकल्प को साकार रूप देने हेतु प्रस्तुत बहुस्तरीय महा-अनुष्ठान, शंखनाद के साथ, आरम्भ हो चुका है ……अनवरत पूर्ण प्रत्यक्षाकार तक……।